मुठ्ठी से रेत की तरह निकलता
ज़िन्दगी के हर फासले पर फिसलता
कभी आंसू कभी हंसी बख्शता
कभी प्यार कभी ख़ुशी तलाशता
ये कमबख्त वक़्त .....
ये दुआ हमारी हो कबूल
हमे मिले वक़्त इतना ज़रूर
मुकम्मल हो सकें वो मामले
जिन्हें वक़्त आ कर खुद थाम ले...
ज़िन्दगी की पाठशाला में
वक़्त वह बेंत है
ज़ख्म वही देता है ,जो
मुनासिब नेक है...
कभी वक़्त मिले तो निकलना
वक़्त को ठीक से पहचानना
कर्म और करम दोनों का
फल देता ये एक सा !!!!
ज़िन्दगी के हर फासले पर फिसलता
कभी आंसू कभी हंसी बख्शता
कभी प्यार कभी ख़ुशी तलाशता
ये कमबख्त वक़्त .....
ये दुआ हमारी हो कबूल
हमे मिले वक़्त इतना ज़रूर
मुकम्मल हो सकें वो मामले
जिन्हें वक़्त आ कर खुद थाम ले...
ज़िन्दगी की पाठशाला में
वक़्त वह बेंत है
ज़ख्म वही देता है ,जो
मुनासिब नेक है...
कभी वक़्त मिले तो निकलना
वक़्त को ठीक से पहचानना
कर्म और करम दोनों का
फल देता ये एक सा !!!!