Tuesday, 27 September 2016

आज चाँद की रोशनी कुछ खास है ,
अनजानी अनकही कोई  बात है
जाने ये आने वाली भोर की ख़ुशी है ,या
बीतती   हुई  रात  की  याद  है
दरख्तों के साये से छनती हुई चांदनी
अक़्सर दे जाती ये  खूबसूरत एहसास है
काली घनी रात में भी ,ज़िंदा अभी एक आस है !!

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