कभी यूं ही शून्य मे पड़े ताकते रहे का...
चुपचाप सुना अनसुना कर देने का....
बस साँसो के चलते रहने का भी...
अर्थ निराला होता है....
अच्छा लगता है....
किसी का पास ना होना...
खुद की भी खुद न सुनना,
कोई चिंता नहीं , न कोई चिंतन
कोई उद्देश्य नहीं, न कोई मंथन
कोई सोच नहीं, ना डर ,
बस एक क्रियाशील निष्क्रियता...!!!
चुपचाप सुना अनसुना कर देने का....
बस साँसो के चलते रहने का भी...
अर्थ निराला होता है....
अच्छा लगता है....
किसी का पास ना होना...
खुद की भी खुद न सुनना,
कोई चिंता नहीं , न कोई चिंतन
कोई उद्देश्य नहीं, न कोई मंथन
कोई सोच नहीं, ना डर ,
बस एक क्रियाशील निष्क्रियता...!!!
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