Monday 3 September 2012

BACHPAN

हवा के उस झोंके ने
वो सब बयाँ कर दिया,
मुंह फेर जिससे हम
आगे बढ़ चले हैं;
याद  आया वो बादल
जिसमे उभरती थी दुनिया भर की आकृति,
वो पानी नहर का
जिसमें फेंका पत्थर नाच उठता जी भर कर।।
कुछ सहेजे हुए कंकड़
खेल में उछालती नन्ही हथेली,
पतली मेंड़ खेत की
चलना सीखा जिस पर गिर गिर कर।।
कुछ जोड़ी हाथ,
बंधे रहते जो हमेशा  साथ,
कच्ची आमिया तोड़ने से रसीले आम खाने तक,
शैतानी करने से ले कर मार पड़ने तक,
रात भर पढने के बहाने ढ़ेरों बातें करने तक,
 झूठ मूठ का लड़ने से बिना मनाये मानने तक।।
वो हाथ आज तो बिखर गए
पर साथ अभी भी छूटा नहीं ,
मुस्किया कर विदा हो गया बचपन
रह गयी मीठी याद येहीं ................

Sunday 2 September 2012

kushi

वो चार चूडियों से खेल रही थी ,
खिलौना महँगा नहीं था, सुन्दर भी नहीं
फिर भी वो मगन थी, खुश थी .....
क्योंकि  उसके पास 'कुछ ' तो था !!!
'कुछ' पा जाने के संतोष से
आँखे चमक रही थीं,
जब वो पुरानी चूड़ियाँ
नन्ही कलाई पर खनक रही थीं।।
उस सुख क लिये कोई शब्द नहीं,
या शब्दों में वह बता नहीं सकती,
था वो पल यकीनन खूबसूरत
जब उन होंठो पर वो हंसी खिली थी
और खुशनसीब था हर वो इंसान
जिसे वह हंसी देखने मिली थी
बरबस ही वह हंसी मेरे चहरे को मुस्कान पहुंचा गई,
क्या नहीं था पास मेरे चुपचाप मुझे समझा गई.........

RAIN! RAIN! RAIN!


This wonderful aroma
Satisfying the olfactory senses,
These small water droplets
Washing the universe with due efforts,
Lead me to another world, where
Nature launder its blessings
To the Earth & Earthlings,
The wet soil invites me
To be playful with……
The Trumpets of sky
Welcome the changes around,
A surge of rejoice  vanishes
The slough of despond!!!
Here comes the beautiful rain
Embracing the power of rebirth again……….